• Pretni ka Pachda (Hasya Kavita)

  • Aug 24 2022
  • Length: 4 mins
  • Podcast
Pretni ka Pachda (Hasya Kavita)  By  cover art

Pretni ka Pachda (Hasya Kavita)

  • Summary

  • प्रेतनी का पचड़ा सातों दिन मैं हफ्ते के चौबीसों घंटे डरता था भूत पिशाच ना आ धमके इस डर से सहमा रहता था थे परिहास उड़ाते लोग मगर उन मूर्खों ने क्या देखा था वो खंडहर वाली प्रेतनी नाम जिसका रेखा था रात अमावस की एक थी मैं मेरी साइकिल पर था था भाग रहा सरपट सरपट घर पहुँचू इस जल्दी में था कि तभी अचानक ठाँय हुआ तशरीफ़ लिए में धम से गिरा देखा उठ साइकिल पंचर थी अब पैदल ही आगे बढ़ना था उस सड़क में आगे खंडहर था वह कहते हैं भूतों का घर था पर लोगों का काम ही कहना है मुझको ना रत्ती भर डर था कुछ आगे चल मुझे हुई थकान अभी दूर बहुत था मेरा मकान सोचा रुक कुछ साँसें ले लूँ थोड़ी पैरों को भी राहत दे दूँ पर हाथ पाँव गये मेरे फूल सड़क से जब हुई बत्ती गुल झोंके तेज हवा के होने लगे कुत्ते बिल्ली मिल रोने लगे मैं तेज कदम से चलने लगा नाक की सीध में बढ़ने लगा तभी लगा मेरे कोई पीछे था कोई बैठा बरगद के नीचे था वह बरगद खंडहर वाला था साइकिल में पड़ गया ताला था मैं खींच रहा वह हिलती ना कुछ कर लूँ आगे चलती ना जब भय से नजरें नीची की थी देखा झाड़ फंसी चक्कों में थी था निकाल झाड़ को जब मैं रहा सहसा किसी ने मुझको छुआ घूमा तो धड़कन रुक सी गयी थी सफेद वस्त्र में प्रेत खड़ी मैं आँख मींच रोता बोला जाने दो मैं बच्चा भोला वो हँसती बोली आँखें खोलो क्यों रोते हो कुछ तो बोलो मै हाथ छुड़ा के भागा यों मेरे पीछे राॅकेट लगा हो ज्यों मै भागा ज्यों छूटी गोली भूतनी चिल्ला के बोली क्यों भाग रहे यहाँ आओ तो अपना नाम जरा बतलाओ तो कभी यहाँ ना तुमको देखा है अरे मेरा नाम तो सुन लो, 'रेखा' है घर पहुँचा तो पुछा माँ ने बेच दी साइकिल क्या तुने मैं बोला पड़ा था खतरे में एक प्रेतनी के पचड़े में जो साइकिल जाए तो जाए जान बची तो लाखों पाए बस तब से आहें भरता था मै भूत पिशाच से डरता था पर गजब हुआ कुछ अरसा बाद एक कन्या कर गई नाम खराब कहीं बाहर से घर मैं लौटा था तभी ठहाके सुन मैं चौंका था मैने देखा घर घुसते घुसते कोई कन्या थी पीठ किए बैठे मेरे माता पिता संग बैठे थे उस कन्या से बातें करते थे फिर देख मुझे सब घर घुसते हाय लोट गए हँसते हँसते माँ बोली आ सुन ले बेटा अपनी प्रेतनी से मिलता जा मैने कोने में साइकिल देखा खिलखिला के फिर हँस दी 'रेखा'
    Show more Show less

What listeners say about Pretni ka Pachda (Hasya Kavita)

Average customer ratings

Reviews - Please select the tabs below to change the source of reviews.