Episodios

  • Episode 37 - सबसे गुस्सा
    May 1 2025
    पूरे घर में वो एक कोना मय्यसर नहीं की मैं सुकून से बैठ कर कुछ पलों के लिए अपनी आँखें बंद कर सकूं। आँखें बंद करने पर चिंताओं की छाया डोलने लगती है, इसलिए मैं आँखें खुली रखता हूं।
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    4 m
  • Episode 36 - कर लो दुनियां मुट्ठी में
    May 1 2025
    मुझे ठीक से याद भी नहीं कि मैंने अपने आपको कमज़ोर मानना कब शुरू किया। कब से मैंने ख़ुद के लिए खड़ा होना छोड़ दिया था।
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    3 m
  • Episode 35 - पितृ दोष
    Mar 23 2025
    उसे भूख लगी है। उसकी मां ने रख छोड़ा है, अखबारी पन्ने में लिपटा ब्रेड पकोड़ा। उस ब्रेड पकोड़े पर नज़र है, सामने वाले घर के छज्जे पर बैठे कव्वे की। कव्वे का मानना है कि यदि वो ये ब्रेड पकोड़ा खा लेगा तो बच्चे का पितृ दोष दूर हो जाएगा।
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    4 m
  • Episode 34 - मेरी मैं-मैं, मैं जानूं
    Mar 11 2025
    मैं जीवन में अर्थ ढूंढते ढूंढते थक गया हूं। अब ऐसी स्थिति आ चुकी है कि ज़िंदगी के मायने ढूंढना और मतलबी होना, एक दूजे के समानांतर लगने लगा है।
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    4 m
  • Episode 33 - Solo Traveler
    Mar 3 2025
    मुझे काफ़ी हद तक ये बात सही लगती है कि जीवन खेद के साथ ख़त्म करने वाली यात्रा तो बिल्कुल नहीं है। अगर गौर से देखा जाए तो आनंद एक अवस्था है, जो भीतर से फूटती है। एक कस्तूरी है खुद में, जिसका हमें संभवतः ज्ञान नहीं।
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    4 m
  • Episode 32 - लम्बी उड़ान
    Feb 19 2025
    मुझे क्या कभी मौका मिलेगा कि मैं अपने हाथ फैला कर नीचे वादियों में कूद जाऊं और मुझे अंजाम की चिंता न हो। नीचे सूरजमुखी के फूलों से भरा मैदान हो, फूल मुझे देखते हुए मुस्कुरा रहे हों। बाहें फैला कर खड़े हों। और मैं उनके ऊपर से उड़ता चला जा रहा हूं, एक बड़ी चील की मानिंद।
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  • Episode 31 - नौकर कहीं का
    Feb 13 2025
    मैं समय ख़राब करता हूं, पूरे अधिकार से। मुझे लगता है कि किसी ने मेरा समय ख़रीद कर मुझे ही पकड़ा दिया है, नौकरी की शक्ल में। मालिक बार बार यकीं दिलाता है कि उसने सिर्फ़ समय खरीदा है मुझे नहीं। मैं भी खुद को यह दिलासा देता हूं कि सिर्फ़ समय बिका है, मैं नहीं।
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    4 m
  • Episode 30 - सायास अनायास
    Jan 28 2025
    हम साथ बैठ कर देखी हुई फ़िल्म दुबारा देखते हैं। तुम्हें ठीक-ठीक पता है कि अगले कुछ क्षणों बाद प्रेमी, प्रेमिका का चुम्बन लेगा। तुम अपना हाथ, मेरे हाथ पर रखने का सायास प्रयास, अनायास करती हो। मैं पॉपकॉर्न निकालने के लिए अपनी हथेली को अनायास तुम्हारी हथेली से सायास बाहर को सरकाता हूँ। हम दोनों चौंकने का नाटक करते हैं, फ़िल्म चलती रहती है।
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    5 m
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