• इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

  • De: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

De: Lokesh Gulyani
  • Resumen

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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Episodios
  • Episode 37 - सबसे गुस्सा
    May 1 2025
    पूरे घर में वो एक कोना मय्यसर नहीं की मैं सुकून से बैठ कर कुछ पलों के लिए अपनी आँखें बंद कर सकूं। आँखें बंद करने पर चिंताओं की छाया डोलने लगती है, इसलिए मैं आँखें खुली रखता हूं।
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    4 m
  • Episode 36 - कर लो दुनियां मुट्ठी में
    May 1 2025
    मुझे ठीक से याद भी नहीं कि मैंने अपने आपको कमज़ोर मानना कब शुरू किया। कब से मैंने ख़ुद के लिए खड़ा होना छोड़ दिया था।
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    3 m
  • Episode 35 - पितृ दोष
    Mar 23 2025
    उसे भूख लगी है। उसकी मां ने रख छोड़ा है, अखबारी पन्ने में लिपटा ब्रेड पकोड़ा। उस ब्रेड पकोड़े पर नज़र है, सामने वाले घर के छज्जे पर बैठे कव्वे की। कव्वे का मानना है कि यदि वो ये ब्रेड पकोड़ा खा लेगा तो बच्चे का पितृ दोष दूर हो जाएगा।
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    4 m
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