
Zindagi Aur Maut Ka Fasana - Aks
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Listen in to a recitation of the poem "Zindagi Aur Maut Ka Fasana" written by Aks.
Lyrics in Hindi:
हयात क्या है, हर सांस में मौत का साया है
सपने अधूरे क्यों, ये राज़ समझ न आया है
रोज़ जीते हैं मगर ज़िंदगी क्या हासिल है
सिर्फ़ मौत ने ही हकीकत का आईना दिखाया है
ज़िंदगी रंगों की महफ़िल है, पर फीके रंग सभी
बस मौत के रंग ने सच्चा रंग दिखाया है
उम्मीद जन्म लेती है तो सांसें लेती हैं
पर मौत ने उम्मीदों को हरदम मिटाया है
क्या यही जीवन है, दर्द-ओ-ग़म की दास्तां
गर मौत राहत है तो क्यों जीना सिखाया है
कर्म के बंधन में कब तक गुनाह का बोझ उठा
धर्म के बिना क्या मौत ने चैन दिलाया है
जुस्तजू में उम्र गुज़री, मंज़िल मिली नहीं
आखिर सफ़र का अंत मौत ने दिखाया है
पछतावे से भरी जब मौत की गहराई में उतरे
पूछा उसी ने, क्या खुद को अब तक भुलाया है
ज़िंदगी की जंग में चैन आखिरी रस्म में
मौत के बाद क्या जंग को नया मोड़ आया है
उम्र भर रहे जुदा, दिलों में थी दूरियां
आख़िर मौत ने ही सबको मिलाया है
मेरी बेजान आंखों को देख कर बताओ ये
क्या जीवन का एहसास कहीं लौट आया है
रूह जब घर छोड़ के चल पड़ी सफ़र पर
क्या अकेला है सफ़र, या कोई संग आया है
ज़िंदगी बांटती रही रिश्तों को हमेशा
सिर्फ़ मौत ने ही सबको फिर एक बनाया है
ए मौत ज़रा ठहर, अभी थोड़ी मोहलत दे
तुझसे बचें कब तक, ये सवाल भी आया है
ज़िंदगी-मौत की सच्चाई का बस इतना फसाना है
जो आज तक आया, उसे वापस भी जाना है