Vedic Broadcast Podcast Por This podcast is brought to you by Gaurashtra.com arte de portada

Vedic Broadcast

Vedic Broadcast

De: This podcast is brought to you by Gaurashtra.com
Escúchala gratis

Namaste! We will discuss one Ved mantra starting from Mandal 1, Sookt 1 and Mantra 1 of the Rigved. Then we shall cover Yajurved, Saamved and Atharva ved serial wise. The podcast's language is Hindi. We would never mind diversifying the content in different global languages depending upon the listeners' demand, but that requires money and time. Thus, we request patience and your long-term association with us. Please feel free to contact us at agnidhwaj@gmail.com. Dhanyavad. Madhav DasThis podcast is brought to you by Gaurashtra.com Espiritualidad
Episodios
  • ऋग्वेद मण्डल 1. सूक्त 24. मंत्र 10
    Jul 18 2022

    अ॒मी य ऋक्षा॒ निहि॑तास उ॒च्चा नक्तं॒ ददृ॑श्रे॒ कुह॑ चि॒द्दिवे॑युः। अद॑ब्धानि॒ वरु॑णस्य व्र॒तानि॑ वि॒चाक॑शच्च॒न्द्रमा॒ नक्त॑मेति॥ - ऋग्वेद 1.24.10


    पदार्थ -
    हम पूछते हैं कि जो ये (अमी) प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष (ऋक्षाः) सूर्य्यचन्द्रतारकादि नक्षत्र लोक किसने (उच्चाः) ऊपर को ठहरे हुए (निहितासः) यथायोग्य अपनी-अपनी कक्षा में ठहराये हैं, क्यों ये (नक्तम्) रात्रि में (ददृश्रे) देख पड़ते हैं और (दिवा) दिन में (कुहचित्) कहाँ (ईयुः) जाते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर-जो (वरुणस्य) परमेश्वर वा सूर्य के (अदब्धानि) हिंसारहित (व्रतानि) नियम वा कर्म हैं कि जिनसे ये ऊपर ठहरे हैं (नक्तम्) रात्रि में (विचाकशत्) अच्छे प्रकार प्रकाशमान होते हैं, ये कहीं नहीं जाते न आते हैं, किन्तु आकाश के बीच में रहते हैं (चन्द्रमाः) चन्द्र आदि लोक (एति) अपनी-अपनी दृष्टि के सामने आते और दिन में सूर्य्य के प्रकाश वा किसी लोक की आड़ से नहीं दीखते हैं, ये प्रश्नों के उत्तर हैं॥


    -------------------------------------------

    (भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

    (सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)

    --------------------------------------------------------------

    हमसे संपर्क करें: agnidhwaj@gmail.com

    --------------------------------------------

    Más Menos
    11 m
  • ऋग्वेद मण्डल 1. सूक्त 24. मंत्र 9
    Jul 17 2022

    श॒तं ते॑ राजन्भि॒षजः॑ स॒हस्र॑मु॒र्वी ग॑भी॒रा सु॑म॒तिष्टे॑ अस्तु। बाध॑स्व दू॒रे निर्ऋ॑तिं परा॒चैः कृ॒तं चि॒देनः॒ प्र मु॑मुग्ध्य॒स्मत्॥ - ऋग्वेद 1.24.9


    पदार्थ -
    (राजन्) हे प्रकाशमान प्रजाध्यक्ष वा प्रजाजन ! जिस (भिषजः) सर्व रोग निवारण करनेवाले (ते) आपकी (शतम्) असंख्यात औषधि और (सहस्रम्) असंख्यात (गभीरा) गहरी (उर्वी) विस्तारयुक्त भूमि है, उस (निर्ऋतिम्) भूमि की (त्वम्) आप (सुमतिः) उत्तम बुद्धिमान् हो के रक्षा करो, जो दुष्ट स्वभावयुक्त प्राणी के (प्रमुमुग्धि) दुष्ट कर्मों को छुड़ादे और जो (पराचैः) धर्म से अलग होनेवालों ने (कृतम्) किया हुआ (एनः) पाप है, उसको (अस्मत्) हम लोगों से (दूरे) दूर रखिये और उन दुष्टों को उनके कर्म के अनुकूल फल देकर आप (बाधस्व) उनकी ताड़ना और हम लोगों के दोषों को भी निवारण किया कीजिये॥


    -------------------------------------------

    (भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

    (सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)

    --------------------------------------------------------------

    हमसे संपर्क करें: agnidhwaj@gmail.com

    --------------------------------------------

    Más Menos
    12 m
  • ऋग्वेद मण्डल 1. सूक्त 24. मंत्र 8
    Jul 17 2022

    उ॒रुं हि राजा॒ वरु॑णश्च॒कार॒ सूर्या॑य॒ पन्था॒मन्वे॑त॒वा उ॑। अ॒पदे॒ पादा॒ प्रति॑धातवेऽकरु॒ताप॑व॒क्ता हृ॑दया॒विध॑श्चित्॥ - ऋग्वेद 1.24.8


    पदार्थ -
    (चित्) जैसे (अपवक्ता) मिथ्यावादी छली दुष्ट स्वभावयुक्त पराये पदार्थ (हृदयाविधः) अन्याय से परपीड़ा करनेहारे शत्रु को दृढ़ बन्धनों से वश में रखते हैं, वैसे जो (वरुणः) (राजा) अतिश्रेष्ठ और प्रकाशमान परमेश्वर वा श्रेष्ठता और प्रकाश का हेतु वायु (सूर्याय) सूर्य के (अन्वेतवै) गमनागमन के लिये (उरुम्) विस्तारयुक्त (पन्थाम्) मार्ग को (चकार) सिद्ध करते (उत) और (अपदे) जिसके कुछ भी चाक्षुष चिह्न नहीं है, उस अन्तरिक्ष में (प्रतिधातवे) धारण करने के लिये सूर्य के (पादा) जिनसे जाना-आना बने, उन गमन और आगमन गुणों को (अकः) सिद्ध करते हैं (उ) और जो परमात्मा सब का धर्त्ता (हि) और वायु इस काम के सिद्ध कराने का हेतु है, उसकी सब मनुष्य उपासना और प्राण का उपयोग क्यों न करें॥


    -------------------------------------------

    (भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

    (सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)

    --------------------------------------------------------------

    हमसे संपर्क करें: agnidhwaj@gmail.com

    --------------------------------------------

    Más Menos
    7 m
Todavía no hay opiniones