• जब स्टेज पर गाते-गाते हंसी नहीं रोक पाईं शुभा मुद्गल : ग़ज़लसाज़, S9 E4

  • Feb 6 2022
  • Duración: 37 m
  • Podcast

जब स्टेज पर गाते-गाते हंसी नहीं रोक पाईं शुभा मुद्गल : ग़ज़लसाज़, S9 E4

  • Resumen

  • एक स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान गाने में एक ऐसा शब्द आया कि शुभा जी की नज़रें स्टेज पर ही बैठे तबला बजे रहे उनके पति अनीश प्रधान साहब से जा टकराईं और फिर दोनों अपनी हंसी नहीं रोक पाए। इस हंसी की वजह क्या थी? और शुभा जी की माँ अपनी बेटी में अपनी माँ यानि शुभा जी की नानी का कौन सा अक्स देखती थीं? बता रहे हैं जमशेद कमर सिद्दीक़ी 'गज़लसाज़' के इस बेहद ख़ास पॉडकास्ट में.
    Más Menos
adbl_web_global_use_to_activate_webcro768_stickypopup

Lo que los oyentes dicen sobre जब स्टेज पर गाते-गाते हंसी नहीं रोक पाईं शुभा मुद्गल : ग़ज़लसाज़, S9 E4

Calificaciones medias de los clientes

Reseñas - Selecciona las pestañas a continuación para cambiar el origen de las reseñas.