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Poems from well known Hindi poets recited for your listening pleasure.aks Arte Entretenimiento y Artes Escénicas
Episodios
  • Lafson Ki Wapasi - Aks
    May 18 2025

    Listen in to a recitation of the poem "Lafson Ki Wapasi" written by Aks.


    Lyrics in Hindi:

    सिंगापुर में हूँ आजकल, ये तो है सही,

    दिल्ली वाला हूँ मगर, ये मत भूलिएगा कभी।


    ज़िंदगी की दौड़ में सब कुछ पा लिया है सही,

    पर जो खो गया था बचपन में, वो मिल न सका कभी।


    कलम को भूल बैठे थे, कुछ साल पहले सही,

    अब लफ़्ज़ फिर से आने लगे हैं, जैसे लौटे कोई कभी।


    किसी मिसरे में छुपा हूँ, किसी नज़र में सही,

    मैं अब किताबों की तरह खुलता हूँ धीरे-धीरे कभी।


    भीड़ में भी अक्सर ख़ुद से दूर रहा हूँ सही,

    शेरों ने ही पास बुलाया, जब कोई न था कभी।


    हर शेर में दिखा कोई अक्स-सा चेहरा सही,

    लोग समझे शायरी है, मैं समझा ज़िंदगी कभी।

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    3 m
  • Jo Sindoor Tha Ab Sitara Bana - Aks
    May 14 2025

    Listen in to a recitation of the poem "Jo Sindoor Tha Ab Sitara Bana" written by Aks.


    Lyrics in Hindi:


    जो सिंदूर था, अब सितारा बना,
    जो बिखरा था कल, वो सहारा बना।


    वो माँ की दुआ थी कि बेटे का फ़र्ज़,
    जो चुप था कभी, अब इशारा बना।


    जो कांपते लफ़्ज़ों में छुपती थी आग,
    वही जख़्म अब इक शरारा बना।


    जिसे ख़त में बस "मैं ठीक हूँ" लिखा,
    वो जुमला ही जैसे दोबारा बना।


    कभी जूते, कभी रेत में मिले नाम,
    हर गुमशुदा अब नज़ारा बना।


    वो बच्चा जो सीमा पे लहरा गया,
    उसी का जुनूँ अब किनारा बना।


    "अक्स" ने जो ख़ामोशी में कह दिया,
    वो लफ़्ज़ हर दिल का नारा बना।

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    2 m
  • Zindagi Aur Maut Ka Fasana - Aks
    Mar 27 2025

    Listen in to a recitation of the poem "Zindagi Aur Maut Ka Fasana" written by Aks.


    Lyrics in Hindi:


    हयात क्या है, हर सांस में मौत का साया है
    सपने अधूरे क्यों, ये राज़ समझ न आया है

    रोज़ जीते हैं मगर ज़िंदगी क्या हासिल है
    सिर्फ़ मौत ने ही हकीकत का आईना दिखाया है

    ज़िंदगी रंगों की महफ़िल है, पर फीके रंग सभी
    बस मौत के रंग ने सच्चा रंग दिखाया है

    उम्मीद जन्म लेती है तो सांसें लेती हैं
    पर मौत ने उम्मीदों को हरदम मिटाया है

    क्या यही जीवन है, दर्द-ओ-ग़म की दास्तां
    गर मौत राहत है तो क्यों जीना सिखाया है

    कर्म के बंधन में कब तक गुनाह का बोझ उठा
    धर्म के बिना क्या मौत ने चैन दिलाया है

    जुस्तजू में उम्र गुज़री, मंज़िल मिली नहीं
    आखिर सफ़र का अंत मौत ने दिखाया है

    पछतावे से भरी जब मौत की गहराई में उतरे
    पूछा उसी ने, क्या खुद को अब तक भुलाया है

    ज़िंदगी की जंग में चैन आखिरी रस्म में
    मौत के बाद क्या जंग को नया मोड़ आया है

    उम्र भर रहे जुदा, दिलों में थी दूरियां
    आख़िर मौत ने ही सबको मिलाया है

    मेरी बेजान आंखों को देख कर बताओ ये
    क्या जीवन का एहसास कहीं लौट आया है

    रूह जब घर छोड़ के चल पड़ी सफ़र पर
    क्या अकेला है सफ़र, या कोई संग आया है

    ज़िंदगी बांटती रही रिश्तों को हमेशा
    सिर्फ़ मौत ने ही सबको फिर एक बनाया है

    ए मौत ज़रा ठहर, अभी थोड़ी मोहलत दे
    तुझसे बचें कब तक, ये सवाल भी आया है

    ज़िंदगी-मौत की सच्चाई का बस इतना फसाना है
    जो आज तक आया, उसे वापस भी जाना है

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    5 m
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