Episode 257 Podcast Por  arte de portada

Episode 257

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1707 में आगर के निकट दोनों भाइयों की मुठभेड़ जाजौ नामक स्थान पर हुई। आजम युद्ध में मारा गया। अब मुअज्जम प्रमुख था मालवा को सूबेदार निजाम-उल मुल्क। उसने षड्यन्त्र रचकर हुसन अली की हत्या उस समय करवा दी, जब वह बादशाह को अपने साथ लेकर दक्षिण की ओर निजाम- उल-मुल्क के विरुद्ध बढ़ा। अपने भाई की हत्या की सूचना पाकर अब्दुल्ला ने दिल्ली में शहजादा इब्राहिम को गद्दी पर बैठा दिया। इस बीच मुहम्मद शाह अमीन खाँ के साथ वापस। दिल्ली लौटा। उसने बिलोचपुर के निकट अब्दुल्ला को युद्ध में पराजित कर उसे गिरफ्तार कर लिया (1720 ई०)। कारागार में ही बाद में उसकी हत्या कर दी गई।


मुहम्मदशाह अब सैयदबन्धुओं के प्रभाव से मुक्त हो गया। उसने पहले अमीन खाँ तथा बाद में निजाम-उल-मुल्क को अपना वजीर नियक्त किया, परन्तु निजाम कुछ समय बाद ही दक्कन वापस चला गया। मुहम्मद शाह के समय में सम्राट की शक्ति एवं प्रतिष्ठा पुनः स्थापित हुई। परन्तु वह प्रशासन, दरबार अथवा साम्राज्य पर अपना नियन्त्रण स्थापित नहीं कर सका। साम्राज्य के विभिन्न भागों में लगातार विद्रोह हुए, जिन्हें वह दबा नहीं सका। उसके समय में हैदराबाद अवध बंगाल स्वतन्त्र हो गये और मराठों जाटों, सिखों, रुहेलों ने अपनी शक्ति बढ़ा ली। उसी के समय में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण कर मुगल साम्राज्य की खोखली जड़ों पर तीव्र आघात किया। मुगल साम्राज्य के पतन की गति और तीव्र हो गई।

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