Ep4: 250 ग्राम धनिया और इश्क Podcast Por  arte de portada

Ep4: 250 ग्राम धनिया और इश्क

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250 ग्राम धनिया और इश्क़

आँखों का इशारा, पलकों की हरकत या बालो की लटकन कैसे भी मेरी बेचैनी को आगाज़ तो दे।

मैं खुद को बर्बाद कर दूंगा तुझे पाने के लिए तू मन में ही सही एक आवाज़ तो दे।

college के बाद भी राहुल ने नौकरी वही वाली चुनी जिसके लिए माँ बाप ने हां कर दी थी। अब माँ बाप ने चुनी है तो नौकरी भी ऐसी होगी की भले ही जिंदगी में मजा हो ना हो मगर हर सात तारीख को बैंक बैलेंस को भरने वाली तन्खा जरूर हो। राहुल भी इस जिंदगी में चल रहा था उसको ना किसी और तरह के रोमांच की आस थी ना ही उम्मीद। हर दिन उसका एक जैसा ही होता था रोज सुबह office जाना लंच करना काम करना और फिर एक कंधे पर bag लटका कर लौटते वक़्त घर के लिए सब्जी लेते हुए आना। राहुल की मम्मी फ़ोन पर ही राहुल को सब्जी खरीदने की सारी instructions देती थी और अगर सब्जी वाले भईया कोई दाम ठीक से नहीं लगाते थे तो उनसे बहस का डिपार्टमेंट भी उन्ही का होता था।

और फिर इसी साधारण सी ज़िंदगी मेन Entry मारी इश्क ने.

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