मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है Podcast Por  arte de portada

मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है

मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है

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मदीना की फ़िज़ां में बस ख़ुशबू-ए-मुस्तफ़ा है

हर साँस में हर दिल में बस जिक्र-ए-मुस्तफ़ा है

ये वो शहर है जहाँ रूह को सुकून मिलता है

और जहाँ हर मुश्किल का हल करम-ए-मुस्तफ़ा है

अल्लाह ने अता की है इतनी अज़मत इस मक़ाम को

कि यहाँ की मिट्टी में भी शिफा-ए-मुस्तफ़ा है

गुंबद-ए-ख़ज़रा के साए में सुकून-ए-कल्ब है

यहाँ दिल को हर तकलीफ से निजात-ए-मुस्तफ़ा है

या नबी आपकी शफाअत की तलब में हैं सब

सच्चे आशिकों के लिए हर राह में बस अता-ए-मुस्तफ़ा है


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