45. Madhushala: Bachchan meets Teji Suri in Bareily – Love at first sight? / बच्चन और तेजी का मिलन Podcast Por  arte de portada

45. Madhushala: Bachchan meets Teji Suri in Bareily – Love at first sight? / बच्चन और तेजी का मिलन

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Check out YouTube for some unseen pictures!In the previous episode of Madhushala, we visited Amritsar and Lahore, where Bachchan’s poem resonated in somebody’s heart several miles away, unbeknownst to him - until a chance meeting with that beautiful heart in Bareilly. So, what makes Bareilly unique? Let’s find out.पिछले अंक में हमने यात्रा की थी लाहौर और अमृतसर की और बताया था कि लाहौर की छत से कैसे कवि के हृदय से कविता के रूप में एक वेदना की स्वर-लहरी उठी थी, और उसी शहर में किसी और के हृदय में प्रतिध्वनित होने लगी थी, और कवि को इसका कोई एहसास नहीं था। किंतु नियति यदि सीधे सीधे कुछ काम कर दे तो क्या ही बात हो, नियति तो वो नाटककार है जो असाधारण घटना को साधारण बना दे, और एक साधारण सी बात को जाने क्या नाटकीय रूप दे दे। नियति के नाटक का अगला ऐक्ट अब खेला जाने वाला था एक बार फिर बरेली में खेला जाने वाला था। क्या खास था बरेली में ऐसा? चलिए सुनते हैं।Poems in this episode:कल मुर्झानेवाली कलियाँ, हँसकर कहती हैं मग्न रहो।प्रतिध्वनित करता रहा है - शून्य जो तूने कहा है,इसलिए तुझको प्रणय की - एक दिन देगी सुनाई - दुर्निवार पुकार।इसीलिए सौन्दर्य देखकर, शंका यह उठती तत्काल, कहीं फ़साने को तो मेरे, नहीं बिछाया रखा जालचला सफ़र पर जब तक मैंने - पथ पूछा अपने अनुभव से,अपनी एक भूल से सीखा - ज़्यादा, औरों के सच सौ से,मैं बोला जो मेरी नाड़ी - में डोला, जो रग में घूमा,मेरी नाड़ी आज किताबी - नक़्शों की मोहताज नहीं है।मैं सुख पर, सुखमा पर रीझा - इसकी मुझको लाज नहीं है।क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? क्या करूँ? मैं दुखी जब-जब हुआ - संवेदना तुमने दिखाई,मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा - रीति दोनों ने निभाई,किन्तु इस आभार का अब - हो उठा है बोझ भारी;क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? क्या करूँ? कौन है जो दूसरों को - दु:ख अपना दे सकेगा?कौन है जो दूसरे से - दु:ख उसका ले सकेगा?क्यों हमारे बीच धोखे - का रहे व्यापार जारी?क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? - क्या करूँ? एक भी उच्छ्वास मेरा - हो सका किस दिन तुम्हारा?उस नयन से बह सकी कब - इस नयन की अश्रु-धारा?सत्य को मूंदे रहेगी - शब्द की कब तक पिटारी?क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? - क्या करूँ?--- साकी से मिल, साकी में मिल, अपनापन मैं भूल गया, मिल मधुशाला की मधुता में, भूल गया मैं मधुशाला---वर्ष नव, हर्ष नव - जीवन उत्कर्ष नवनव उमंग, नव तरंग - जीवन का नव प्रसंग!नवल चाह, नवल राह - जीवन का नव प्रवाह!गीत नवल, प्रीति नवल - जीवन की रीति नवल,जीवन की नीति नवल - जीवन ...
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