गीता सार – अध्याय 12 Podcast Por  arte de portada

गीता सार – अध्याय 12

गीता सार – अध्याय 12

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भक्तियोग श्री कृष्ण कहते हैं कि सबसे बड़ा योग भक्ति योग ही है। यदि कोई बड़े -बड़े वेद -पुराण नहीं पढ़ सकता, यज्ञ -हवन- तप आदि नहीं कर सकता तो उसे भक्ति योग का सहारा लेना चाहिए। मनुष्य को ईश्वर के प्रेम में लीन होकर उसकी भक्ति करनी चाहिए। उसके भजन गाने चाहिये। उसका मनन -चिंतन -और गुणगान करना चाहिये। स्वयं को पूरी तरह से श्री कृष्ण के चरणों में समप्रित कर देना चाहिए। ऐसे भक्त श्री कृष्ण को परम -प्रिय होते हैं। और वे खुद उनके भक्त हो जाते हैं। मीरा और सूरदास सच्चे भक्तों का उदाहरण हैं। ऐसे भक्तों को प्रभु मोक्ष प्रदान करते हैं। कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय - 12 धन्यवाद
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