हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं Podcast Por  arte de portada

हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं

हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं

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कातिलाना है चाहत तेरी
आ बसा दे तू जन्नत मेरी
तेरे बिन जियूं ना मरूं...
हां हां मैं,तुम से ही प्यार करुं
तू मिला है तो,खुशियां मिल गयी
रब से हम को इजाजत मिल गयी
पलकों पर तुम को रखूं...
हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं

जब से तुम से ये आंख है मिल गयी
रातों की सारी नींद भी उड़ गयी
सपनों में तुम को देखूं....
हां हां मैं,तुम से ही प्यार करूं
तूझ में बसती है दुनिया मेरी
तू हकीकत,या सपना कोई
सजदा मैं खुद को करुं...
हां हां मैं, तुम से ही प्यार करूं

कातिलाना है चाहत तेरी
आ बसा दें तू जन्नत मेरी
तेरे बिन जियूं ना मरूं...
हां हां मैं,तुम से ही प्यार करुं
हां हां मैं,तुम से ही प्यार करुं...
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