सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में Podcast Por Caty arte de portada

सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में

सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में

De: Caty
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🎙️ About the Show: "सनातन स्पर्श –सनातन धर्म की बातें, आपके अपने शब्दों में" इस पावन यात्रा में आपका स्वागत है — जहाँ हम हिंदू धर्म की दिव्य कथाओं, पुराणों, ग्रंथों और आस्थाओं को सरल, मधुर भाषा में प्रस्तुत करते हैं। रामायण, महाभारत, भगवद गीता, वेद-उपनिषद और लोक मान्यताओं से जुड़ी बातें अब होंगी आपके दिल से जुड़ी हुई — सहज शब्दों में, लेकिन उसी श्रद्धा और गहराई के साथ। यह चैनल एक छोटा प्रयास है सनातन ज्ञान को आज की पीढ़ी तक सुलभ और जीवंत रूप में पहुँचाने का। रोज़ सुनें, जुड़ें, और भीतर की शांति महसूस करें।Caty Espiritualidad Hinduismo
Episodios
  • भाग 4: 51 शक्ति पीठ – 18 महा पीठों से परे
    Jul 21 2025

    इस भाग में, हम इनमें से कुछचुनिंदा पीठों की यात्रा करेंगे—कुछ भव्य मंदिर,कुछ छिपे हुए तीर्थ—जो भारत और उसकेबाहर फैले हैं। हिमाचल की बर्फीली चोटियों से लेकर तमिलनाडु के समुद्र तटों तक, प्रत्येक पीठ माँ सतीके बलिदान का एक अंश धारण करता है,जिसमें भक्ति की कथाएँ और समय के साथगूँजने वाले चमत्कार हैं। हम इनकी कथाओं का अन्वेषण करेंगे, जो देवी पुराण, कालिका पुराण, और स्थानीय परंपराओंपर आधारित हैं, औरराजाओं, ग्रामीणों, और तीर्थयात्रियों कीविस्तृत कहानियाँ साझा करेंगे, जिनके जीवन माँ ने छू लिए। यह अंधविश्वास नहीं, बल्कि शास्त्रों औरअसंख्य भक्तों के अनुभवों पर निर्मित आस्था है। तो,मेरे साथ चलें, माँ के दैवीय आलिंगनके लिए अपने हृदय खोलकर इन पवित्र स्थानों में कदम रखें।

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    22 m
  • भाग 3: महा शक्ति पीठ – द्वितीय भाग
    Jul 16 2025

    हे प्रिय मित्र, क्या आप माँ शक्ति कीउस पुकार को फिर से अनुभव कर सकते हैं?उनकी आवाज़ एक मधुर राग की तरह है, जो पहाड़ों, नदियों और लाखोंहृदयों में गूँजती है। दूसरे भाग में,हमने अष्टादश महा शक्ति पीठों में से नौकी यात्रा की—कामाख्या, कालिघाट, ज्वालामुखी, और अन्य—जहाँ माँ कीदैवीय ऊर्जा ने हमें प्रेम और शक्ति से भर दिया। अब हम शेष नौ महा शक्ति पीठों कीयात्रा पर निकल रहे हैं, जहाँमाँ सती की पवित्र शक्ति धरती पर उतरी,और प्रेम व शक्ति का आलम बन गया। देवी पुराण और आदि शंकराचार्य के शक्ति पीठ स्तोत्रम में वर्णित येअष्टादश महा शक्ति पीठ वह स्थान हैं,जहाँ माँ शक्ति सबसे प्रखर रूप मेंचमकती हैं, औरभगवान शिव उनके भैरव रूप में उनकी रक्षा करते हैं।

    प्रत्येक पीठ माँ सती के शरीर का एक अंशधारण करती है, जोउनके बलिदान का प्रतीक है, जिसनेदुख को शाश्वत भक्ति में बदल दिया। इस यात्रा में,हम त्रिपुरा सुंदरी, छिन्नमस्ता, एकवीरा, नैना देवी, वैष्णो देवी, जयंती, भ्रामरी, मुक्तिनाथ, और अंबाजी के दर्शनकरेंगे। ये केवल कहानियाँ नहीं, बल्कि जीवंत कथाएँ हैं,जो भक्तों की आस्था से सजीव हैं। येस्थान केवल मंदिर नहीं, बल्किवे आलम हैं, जहाँहृदय ठीक होते हैं, भयमिटते हैं, औरआत्मा को घर मिलता है। मैं जो कथाएँ साझा करूँगा,वे देवी पुराण, शिव पुराण, और स्थानीय परंपराओंपर आधारित हैं, जोआपको माँ के आलिंगन का अनुभव कराएँगी। आइए,हृदय खोलकर, माँ के प्रेम परभरोसा करते हुए, इसयात्रा को शुरू करें, जोशास्त्रों और बुद्धि पर आधारित है,न कि अंधविश्वास पर।


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    29 m
  • भाग 2: महा शक्ति पीठ – प्रथम भाग
    Jul 15 2025

    हे प्रिय मित्र, क्या आप उसपवित्र नदी के तट पर खड़े होने की कल्पना कर सकते हैं, जहाँ सूर्यकी किरणें जल पर नाचती हैं, और आपके हृदय में एक कोमल पुकार गूँजती है, मानो कोईमाँ आपको अपनी गोद में बुला रही हो? यही है अष्टादशमहा शक्ति पीठों की पुकार, जहाँ माँ शक्ति की दैवीयऊर्जा दीप्तिमान है, जहाँ उनका प्रेम आपको ममता भरी गोद की तरह लपेट लेता है। पहले भाग में, हमने माँसती के बलिदान और प्रेम की कथा सुनी, जिसने 51 शक्तिपीठों को जन्म दिया। अब हम उन 18महा शक्ति पीठों में से पहलीनौ की यात्रा पर निकल रहे हैं, जो सृष्टि के सबसे पवित्र तीर्थ हैं।

    देवी पुराण और आदिशंकराचार्य द्वारा रचित शक्ति पीठ स्तोत्रम में इन 18 महा पीठोंको विशेष स्थान प्राप्त है। ये पीठ सती के शरीर के उन अंगों से जुड़े हैं, जो भगवानविष्णु के सुदर्शन चक्र द्वारा खंडित होकर धरती पर गिरे। प्रत्येक पीठ पर माँशक्ति एक अनूठे रूप में प्रकट होती हैं—कभी उग्र काली के रूप में, कभी कोमलकामाक्षी के रूप में—और भगवान शिव उनके भैरव रूप में उनकी रक्षा करते हैं। ये पीठभारत की हरी-भरी पहाड़ियों से लेकर सुदूर समुद्र तटों तक बिखरे हैं, प्रत्येकएक दैवीय द्वार है, जो भक्तों को माँ की गोद तक ले जाता है।

    इस यात्रा में, मैं चाहताहूँ कि आप उन लाखों भक्तों की भक्ति को अनुभव करें, जो इन पीठों की सीढ़ियाँचढ़ते हैं, दीप जलाते हैं, और माँ के चरणों में सिर झुकाते हैं। यह अंधविश्वास नहीं, बल्किशास्त्रों और सदियों पुरानी कथाओं पर आधारित अटूट विश्वास है। हम प्रत्येक पीठ कीकथा, स्थान, सती के अंग, और उनकी शक्ति का अन्वेषण करेंगे, जिनमें प्राचीन और आधुनिकभक्तों की कहानियाँ शामिल होंगी। तो, मेरे साथ चलें, माँ केप्रेम और भक्ति से भरे हृदय के साथ, इस तीर्थयात्रा की शुरुआतकरें। “ॐ शक्त्यै नमः” मंत्र का जाप करें, और माँ कीकृपा को अपने हृदय में बसाएँ।


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