• जब पीड़ा की हो कई परतें

  • Jun 25 2021
  • Duración: 8 m
  • Podcast

जब पीड़ा की हो कई परतें

  • Resumen

  • बात जब अपनी या अपनों की हो, तो हम कोई कसर नहीं छोड़ते। पर कई बार हम चाहकर भी सब कुछ नहीं कर पाते। कभी चीजें बूते से बाहर होती हैं, तो कई बार सब कुछ होने पर भी हाथ खाली रह जाते हैं। आप दुखी होते हैं, दूसरों को कोसते हैं। खुद को दोष देते रहतेे हैं, पर इससे दुख तो कम नहीं होता! मन को समझा लेना ही काफी नहीं होता, उसे ठीक से समझाना पड़ता है। अपने इमोशनल स्ट्रेस को कैसे डील करें, तेरी-मेरी बात में आज इसी पर बात।
    Más Menos
adbl_web_global_use_to_activate_webcro768_stickypopup

Lo que los oyentes dicen sobre जब पीड़ा की हो कई परतें

Calificaciones medias de los clientes

Reseñas - Selecciona las pestañas a continuación para cambiar el origen de las reseñas.