क्या खूब रुसवाई की उसने Podcast Por  arte de portada

क्या खूब रुसवाई की उसने

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Acerca de esta escucha

ना जीने की ख्वाईश थी, ना मारने का कोई गम, दुनिया की भीड़ मे भी अकेले थे हम,

लोगों को कहते सुना था हमने.आज खुद को आजमा लिया हैं.हर चेहरे के पीछे होता हैं एक चेहरा, आज हमने भी झूठी मुस्कान का एक चेहरा लगा लिया हैं।

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